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मोदी जी की 3.0 सरकार से मुस्लिम महिलाओं की उम्मीदें

Story By- रईस आलम।

 

केस स्टडी- मुंबई की रहने वाली ज़रीना सिद्दीकी को अक्तूबर 2019 में उसके पति ने तलाक दिया था। आज पांच साल होने को आए हैं ये मामला जहां से शुरू हुआ था वहीं पर रुका हुआ है। ज़रीना कहती हैं कि लचर कानून व्यवस्था के कारण उन्हें इंसाफ़ नहीं मिल पा रहा है। उनका पति नई पत्नी के साथ मजे से रह रहा है और वो कोर्ट कचहरी के धक्के खा रही हैं। वो कहती हैं कि तलाक को लेकर बनाए गए कानून पर फिर से विचार करने और इसे अधिक मजबूत बनाने की जरूरत है ताकि मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ़ मिल सके।

तीन तलाक पर प्रतिबंध लगने पर महिलाओं ने मनाई थी ईद-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार से वैसे तो देश भर ने तमाम तरह की उम्मीदें पाल रखी हैं, लेकिन महिलाओं खास कर मुस्लिम महिलाओं को इस सरकार से कुछ अलग और खास उम्मीदें हैं। मुस्लिम महिलाओं को जिस तरह प्रधानमंत्री की पिछली सरकार ने इंस्टेंट तीन तलाक से राहत दिलाई थी, अब इन महिलाओं को उम्मीद है कि वास्तव में इनको जो हक और सम्मान मिलना चाहिए वो हक और सम्मान अगले पांच साल में प्रधानमंत्री मोदी इनको दिलाएंगे। दरअसल 1 अगस्त 2019 मुस्लिम महिलाओं के लिए ऐतिहासिक दिन था। इस दिन इन महिलाओं ने ईद मनाई थी जब इंस्टेंट ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। 

 

तलाक के कानून में बच्चों के लिए हो प्रावधान-

झारखंड की रहने वाली हिना परवीन कहती हैं कि सरकार ने तीन तलाक पर प्रतिबंध तो लगाया लेकिन इसका फायदा महिलाओं को नहीं मिल रहा है। लोगों ने तलाक देने के और भी तरीके निकाल लिए हैं। अब नोटिस के ज़रिए तलाक दिया जा रहा है। हमें मोदी जी की नई सरकार से उम्मीद है कि इस कानून पर फिर से विचार किया जाए। इसे इतना मजबूत बनाया जाए कि कोई भी आदमी तलाक देने की पतली गली तलाश नहीं सके। हिना आगे कहती हैं कि और अगर सही तरीके से तलाक हो जाए तो औरत को पति की संपत्ति में आधा हिस्सा दिया जाए। इसके अलावा बच्चों के बारे में भी कानून बनना चाहिए। पति या पत्नी तलाक लेकर अपनी जिंदगी फिर से शुरू कर लेते हैं लेकिन बच्चों के लिए फिर से जीना शुरू कर पाना आसान नहीं होता है। पति पत्नी की लड़ाई में सबसे अधिक बच्चे ही सफर करते हैं लेकिन कानून में बच्चों के लिए ही कुछ नहीं है। सरकार कानून बनाते समय ये भी तय करे कि तलाक के बाद बच्चों का क्या होगा। अभी तो हाल ये है कि कोई भी आदमी जब पत्नी को तलाक देता है तो लगता है कि बच्चों को तलाक दे दिया।

 

तलाक के बाद पति की संपत्ति में पत्नी को मिले आधा हिस्सा-

कोलकाता की रहने वाली मलका बीवी कहती हैं कि तलाक के लिए अभी जो कानून है उसमें सुधार करे सरकार। अभी उसमें बहुत कमियां हैं। पुलिस वालों को नहीं पता है कि मुसलमानों में तलाक के नए नियम क्या हैं। पुलिस के पास जब कोई मुस्लिम महिला समस्या लेकर जाती है तो पुलिस कहती है कि तुम्हारे धर्म का अलग मामला है। इसलिए सबसे पहले तो पुलिस और वकीलों को नए कानून के बारे में जानकारी दी जाए उनको नए कानून के बारे में जागरूक किया जाए। और जहां तक कानून के कारगर होने का सवाल है तो अपने वर्तमान रूप में कानून बहुत कारगर साबित नहीं हो रहा है। इस कानून के साथ महिलाओं का अपने पति के संपत्ति में अधिकार तय करने के लिए प्रावधान होना चाहिए, पति के घर में तलाक के बाद भी रहने का नियम जोड़ा जाना चाहिए। तलाक के हर मामले को कोर्ट में जल्द से जल्द निपटाया जाना चाहिए। अभी हाल ये है कि 9 वर्ष से तलाक के केस के मामले में सिर्फ सुनवाई हो रही है। सरकार को कानून लाना चाहिए कि तलाक से जुड़े हर केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालत में हो।

 

मजबूती के साथ धरातल पर उतरे कानून-

दिल्ली की रहने वाली डॉ. समीना उस्मानी, पूर्णिया की रहने वाली वाजदा तरन्नुम, किशनगंज की रहने वाली शौकत परवीन कहती हैं कि एनडीए की नई सरकार से हमें काफी सारी उम्मीदें हैं। पहली बात तो यही कि तलाक पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून में पर्याप्त संशोधन किया जाए। इसे मजबूती के साथ धरातल पर उतारा जाए।

 

 

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